ismile ahaihi salam

हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम

हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम मुल्क शाम में पैदा हुए। मक्का की ज़मीन में परवरिश पाई। बचपन बाप की जुदाई में गुज़रा, क़बीला जरहम ने जिसे हज़रत हाजरा ने ज़मज़म के चश्मे के पास रहने की इजाज़त दी थी, सात बकरियां दी थीं। हज़रत इस्माईल की बरकत से बकरियों में बड़ी बरकत हुई, जिससे इत्मीनान से हज़रत इस्माईल का काम चलने लगा और उन्हें खुशहाली हासिल हुई।

ख़ुदा के हुक्म से वह लोगों को ख़ुदा की दावत देते रहे और उन्हें गुमराही से बचाने के लिए पूरी कोशिश करते रहे और वे अपने बाप के जानशीन होकर ज़िम्मेदारी पूरी करते रहे। हज़रत इस्माईल की औलाद

बेशुमार हुई। बहुत से लोग मक्के से निकल कर इधर-उधर फैले और मक्के के करीबी इलाक़ों को अपना वतन बनाया। जो शरूस मक्के से गुजरता काबा का तवाफ़ करता। हजरत इस्माईल के

इन्तिकाल के बाद कौम में जिहालत और गुमराही भी फैली। उसने काबा में

पत्थर रख कर उसी की पूजा शुरू कर दी। इस तरह कौम ने बुतपरस्ती का

रिवाज पकड़ा ?

कुछ मामलों में हज़रत इब्राहीम के तरीक़ों पर अमल करते और बैतुल्लाह का हज भी करते लेकिन बुतपरस्ती की वजह से हक़ीक़त में वह इब्राहीमी तरीके से बहुत दूर हो गए। बुतपरस्ती की नहूसत से अरब में तारीकी फैल गयी।

हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की और भी वाक्यात पढ़ने के लिए होम पेज पर जाएं

कोई टिप्पणी नहीं:

Hazrat Ali Raziallahu anhu Hazrat Ali golden words

मेरे मोहतरम मेरे अजीज दोस्त एवं भाइयों अस्सलाम वालेकुम आज मैं आपको बताने जा रहा हूं हजरत अली रजि अल्लाह आल्हा की खूबसूरत और बेहतरीन हर्षदा उ...

Popular