Zannat ka rasta Zannat kaha hai

 अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाते हैं:

तर्जुमाः यह दीन (इस्लाम और इसके तमाम अहकाम) मेरा रास्ता है जो कि (बिल्कुल) सीधा रास्ता है। सो इस राह पर चलो और दूसरी राहों पर मत चलो कि वे राहें तुमको अल्लाह की राह से जुदा कर

देंगी। (सूरः अनआम आयत153)।     


फायदा    इस    मुबारक आयत से मालूम हुआ कि अल्लाह का दीन एक है  बाकी मज़हब और गुमराही के रास्ते बहुत हैं, सिर्फ अल्ला दीन यानी इस्लाम में नजात (मुक्ति) है, दूसरे किसी में नहीं।                              

                         Zannat ka rasta

Zannat ka rasta

 हदीसः चुनाँचे हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि जनाब रसूलुल्लाह सल्ल0 ने हमारे सामने एक लकीर खींची और फ़रमाया यह अल्लाह का रास्ता है। फिर आपने उस लकीर के दाएँ और बाएँ बहुत-सी लकीरें खींचीं और फ़रमाया, ये भी रास्ते हैं और इनमें से हर एक रास्ते से शैतान गुमराह करता है। फिर · आपने ऊपर जिक्र हुई (उपरोक्त) आयत पढ़कर ( अपनी इस मिसाल को स्पष्ट किया। (इब्ने हब्बान मवारिदुज्ज़मुआन)

 

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हदीसः हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि एक दिन रसूलुल्लाह सल्ल0 हमारे सामने तशरीफ़ लाए और फ़रमायाः तर्जुमाः मैंने ख़्वाब में देखा मानों कि जिब्राईल अलैहिस्सलाम मेरे


सिरहाने के पास और मीकाईल अलैहिस्सलाम मेरे पाँव के पास। उन दोनों में से एक ने अपने साथी से कहा तुम इन मुहम्मद सल्ल0) के लिए मिसाल बयान करो। उसने (आप सल्ल0 से मुखातब होकर ) कहा, अपने कानों की पूरी तवज्जोह से सुनो और अपने दिल की तवज्जोह से गौर करो, आपकी मिसाल और आपकी उम्मत की मिसाल उस बादशाह की मिसाल जैसी है जिसने एक महल बनाया हो, उसमे कई कमरे बनाए हों, फिर दस्तरख्वान बिछाया हो, फिर एक क़ासिद ( दूत) को रवाना किया हो कि वह लोगों को खाने की तरफ़ बुलाए । पस उनमें से किया हो। कुछ लोगों ने कुबूल किया हो और कुछ लोगों ने इनकार


पस बादशाह तो अल्लाह है और महल इस्लाम है, और घर जन्नत है। और ऐ मुहम्मद आप रसूल (कासिद) हैं। पस जिसने आपकी दावत पर लब्बैक कही वह इस्लाम में दाखिल हो गया


जो इस्लाम में दाखिल हो गया वह जन्नत में दाखिल हो गया, और जो जन्नत में दाखिल हो गया उसने उससे खाया जो कुछ उसमें मौजूद है। (तिर्मिज़ी शरीफ़ मिसाल के बयान में हदीस 2860)


हदीसः हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब रसूलुल्लाह सल्ल0 ने इरशाद फ़रमायाः

Zannat ka rasta

तर्जुमाः जन्नत और दोज़ख़ ने आपस में झगड़ा किया तो दोज़ख ने कहाः मुझे ज़ालिम जाबिर और घमण्डी लोगों के साथ तरजीह दी गयी है (कि अल्लाह उन लोगों को मेरे अन्दर दाखिल फ़रमाएँगे) और जन्नत ने कहां की मैं भी कम नहीं हूँ मेरे अन्दर भी कमज़ोर और दुनिया एतिबार से घटिया (समझे जाने वाले) लोग दाख़िल होंगे। अल्लाह तआला ने फैसला करते हुए) दोज़ख़ से फ़रमायाः तू मेरा अज़ाब है। मैं तेरे साथ जिसे चाहूँगा अज़ाब दूँगा। और जन्नत से फ़रमाया तू मेरी रहमत है। मैं तेरे साथ जिसे चाहूँगा रहमत से नवाजूँगा और हाँ तुम में से हर एक के लिए पूरा पूरा भराव है। पस दोज़ख़ की ( क़यामत के दिन) यह हालत होगी कि वह सैर होने (यानी भरने) का नाम न लेगी यहाँ तक कि अल्लाह तआला उसमें अपना पाँव मुबारक रखेंगे और फुरमाएँगे बस! बस ! तो वह उस वक्त जाकर सैर होगी और उसका एक हिस्सा दूसरे में सिमट जाएगा। मगर अल्लाह तआला किसी पर जुल्म नहीं करेंगे (कि दोज़ख़ को भरने के लिए नाहक तौर पर लोगों को दोज़ख़ में डालें।) और जन्नत की यह हालत होगी कि उस (को रिझाने) के लिए एक नई मख़्लूक पैदा करेंगे। (बुदूरे साफ़िरह पेज 399 )



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