मेरे मोहतरम मेरे अजीज दोस्त एवं भाइयों अस्सलाम वालेकुम आज मैं आपको बताने जा रहा हूं हजरत अली रजि अल्लाह आल्हा की खूबसूरत और बेहतरीन हर्षदा उम्मीद है आप सब को यह पसंद आएगा और आप से दुआ की दरख्वास्त है जितना हो सके इस पोस्ट को शेयर करें लाइक करें कमेंट करें और हमें बताएं कि हमारा यह पोस्ट आपको कैसा लगा जजाकल्लाह खैर
Hazrat Ali Raziallahu anhu Hazrat Ali golden words
अमल से बढ़ कर उस की कबूलिय्यत का एहतिमाम करो, इस लिये कि परहेज़ गारी के साथ किया गया थोड़ा अमल भी बहुत होता है और जो अमल मक़बूल होदोस्तों जाए वोह कैसे थोड़ा होगा
ईद के दिन फ़रमाया ) हर वोह दिन जिस में अल्लाह पाक की ना फ़रमानी न की जाए हमारे लिये ईद दिन है।
मैं तुम पर दो चीज़ों से बहुत जियादा ख़ौफ़ज़दा रहता हूं : (1) ख़्वाहिश की पैरवी और (2) लम्बी उम्मीदें
जो शख़्स येह गुमान रखता है कि नेक आ' माल अपनाए बिगैर जन्नत में दाखिल होगा तो वोह झूटी उम्मीद का शिकार है
खर्च करो, तश्हीर (Show Off) न करो और खुद को इस लिये बुलन्द न करो कि तुम्हें पहचाना जाए और तुम्हारा नाम हो बल्कि छुपे रहो और खामोशी इख़्तियार करो, सलामत रहोगे।
Hazrat Ali Raziallahu anhu Hazrat Ali golden words
इन्सान का क़द 22 साल जब कि अक्ल 28 साल की उम्र तक बढ़ती है, इस के बाद मरते दम तक तजरिबात का सिल्सिला रहता है ।
गुनाहों की नुहूसत से इबादत में सुस्ती और रिज़्ज़ में तंगी आती है। में
बन्दा बे सब्री कर के अपने आप को हुलाल रोज़ी से महरूम कर देता है और इस के बा वुजूद अपने मुक़द्दर से जियादा हासिल नहीं कर पाता ।
जिस “तक्लीफ़” के बाद “जन्नत" मिलने वाली हो वोह “तक्लीफ़" नहीं
और जिस “राहत" का अन्जाम "दोज़ख़" पर हो वोह "राहुत" नहीं ।
(10) अपनी राय को काफ़ी समझने वाला ख़तरे में है।
आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स ज़रूर बताएं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें