इदरीस अलैहिस्सलाम

 क़ाबील की औलाद शैतान के बहकाने से गुमराह हो गयी और कुफ़ व शिर्क में मुब्तला हुई, यहां तक कि वे हरामकारी और बेशर्मी के कामों के शिकार हो गये तो अल्लाह तआला ने हज़रत इद्रीस को नवी बनाकर भेजा।

हज़रत इद्रीस की बातों को बहुत-से भले लोगों ने मान लिया और वे सीधे रास्ते पर ज़िन्दगी गुज़ारने लगे, लेकिन कुछ ऐसे भी थे जिनके दिल स्याह हो चुके थे, कुन व शिर्क और बद अख़लाक़ी उनकी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गयी थी, उन्होंने हज़रत इद्रीस की बातों को ठुकरा दिया।

हज़रत इद्रीस का पैग़ाम था तौहीद, इंसाफ़ और अच्छा अख़लाक़।उनकी कोशिश से एक अच्छा समाज पैदा हो गया। इसे देखने के लिए। हज़रत इज़राईल इंसानी शक्ल में और अल्लाह की इजाज़त लेकर ज़मीन पर आये और उनकी सोहबत कुछ दिन गुज़ारा हज़रत इद्रीस अलैहिस्सलाम में ने देखा कि यह आदमी न खाता है, न पीता है ख़्याल किया, शायद यह फ़रिश्ता है। जब इद्रीस अलै. को मालूम हुआ कि यह मौत का फ़रिश्ता हज़रत इज़राईल हैं, तो उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूँ तुम मुझे शर्बते मौत चखाओ। हज़रत इज़राईल ने अल्लाह की इजाज़त से उनकी रूह को क़ब्ज़ कर लिया और उनकी पाक जान को कल्ब में डाल दिया।

हज़रत इद्रीस ने कहा कि मुझे जन्नत-दोज़ख देखने का बहुत शौक़ है। हज़रत इज़राईल ने ख़ुदा के हुक्म से उनको अपने परों पर बिठाकर सबसे पहले दोज़ख़ की सैर करायी, फिर जन्नत को दिखाया।

हज़रत इद्रीस जब जन्नत की नेमतों, हूरों और दूसरी खूबसूरत चीज़ों को देख चुके तो इज़राईल ने कहा, अब मेरे साथ जन्नत से बाहर चलिए और इस मकान से निकलिए हज़रत इद्रीस अल्लाह के कानून को ही खूब जानते  ही थे, पेड़ का एक तना पकड़ कर खड़े हो गये, फ़र्माया कि जब तक पैदा करनेवाला जन्नत व दोज़ख के इस इम्तिहान से मुझको न निकालेगा, मैं हरगिज़ बाहर न जाऊंगा

अल्लाह तआला ने इन दोनों के क़िस्से के फैसले के लिए एक फ़रिश्ता भेजा। पहले हज़रत इज़राईल ने पूरी हालत बतायी फिर हज़रत इदरीस ने जवाब दिया कि मैंने नफ़्स के तक़ाज़े के तौर पर मौत के कड़वे ज़हरीले शर्बत का मज़ा चखा, दोज़ख़ लाया गया, फिर सबसे बड़े रहीम ख़ुदा के हुक्म के मुताबिक़ जन्नत में आया। अब मैं इससे सिर्फ़ इज़राईल के कहने से निकलने वाला नहीं, हाँ ख़ुदा का हुक्म होगा, तो दूसरी बात है। उसी वक़्त ग़ैब से आवाज़ आयी कि हज़रत इद्रीस हक़ पर हैं।

फिर हज़रत इद्रीस जन्नत से बाहर आये और छठे आसमान पर फ़रिश्तों के साथ इबादत में लग गये और वहाँ मौजूद हैं।• हज़रत इद्रीस बहुत खूबसूरत थे, गेहुँआ रंग था, क़द मुनासिब था, अक्सर खामोश रहा करते चलते तो नज़र क़दमों पर पड़ती।

हज़रत इद्रीस ने ही फ़रमाया है कि नेकियों का सर तीन चीजें हैं

1. गुस्से के वक़्त सब्र से काम लेना,

2. तंगी में बख़्शिश करना, और

3. काबू पाने पर माफ़ करना।

आपने फ़रमाया कि अक्लमंद वह आदमी है कि तीन क़िस्म के आदमियों से हल्कापन न करे

1. बादशाहों से,

2. आलिमों से,

3. दोस्तों से।

इसलिए कि बादशाहों की गुस्ताख़ी मीठे ऐश की कड़वाहट की तरह है और आलिमों की हिकारत (नीची नज़र से देखना) से दीन का नुक्सान और दोस्तों का हल्कापन बे-मरव्वती है जो नफ़रत करने की चीज़ है।

आपने फ़रमाया कि आदमी को चाहिए कि मुसीबत में सब्र करे और बुलंद दर्जा पाने पर नर्मी का रवैया अपनाये।

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